महात्मा गांधी और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों में योगदान | Mahatma Gandhi And Role In Indian Freedom Movements | Selection Mind Online Study
![]() |
महात्मा गांधी और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों में योगदान | Mahatma Gandhi And Role In Indian Freedom Movements | Selection Mind Online Study |
|| Selection Mind : YouTube Channel ||
परिचय
गांधी जी का जन्म पोरबंदर की रियासत में 2 अक्टूबर, 1869 में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी, पोरबंदर रियासत के दीवान थे और उनकी माँ का नाम पुतलीबाई था । मात्र 13 वर्ष की उम्र में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा कपाड़िया से कर दिया गया।
महात्मा गांधी - शिक्षा
- गांधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट से प्राप्त की और बाद में वे वकालत की पढ़ाई करने के लिये लंदन चले गए।
- उल्लेखनीय है कि लंदन में ही उनके एक दोस्त ने उन्हें भगवद गीता से परिचित कराया और इसका प्रभाव गांधी जी की अन्य गतिविधियों पर स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है।
महात्मा गांधी - राजनीतिक सफर की पृष्ठभूमि
- वकालत की पढ़ाई के बाद जब गांधी भारत वापस लौटे तो उन्हें वकील के रूप में नौकरी प्राप्त करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
- वर्ष 1893 में दादा अब्दुल्ला (एक व्यापारी जिनका दक्षिण अफ्रीका में शिपिंग का व्यापार था) ने गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में मुकदमा लड़ने के लिये आमंत्रित किया।
- जिसे गांधी जी ने स्वीकार कर लिया और गांधी जी दक्षिण अफ्रीका के लिये रवाना हो गए।
- विदित है कि गांधी जी के इस निर्णय ने उनके राजनीतिक जीवन को काफी प्रभावित किया।
दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी
- दक्षिण अफ्रीका में गांधी ने अश्वेतों और भारतीयों के प्रति नस्लीय भेदभाव को महसूस किया।
- उन्हें कई अवसरों पर अपमान का सामना करना पड़ा जिसके कारण उन्होंने नस्लीय भेदभाव से लड़ने का निर्णय लिया।
- उस समय दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों और अश्वेतों को वोट देने तथा फुटपाथ पर चलने तक का अधिकार नहीं था, गांधी ने इसका कड़ा विरोध किया ।
- अंतिम वर्ष 1894 में 'नेटाल इंडियन कांग्रेस' नामक एक संगठन स्थापित करने में सफल रहे।
- दक्षिण अफ्रीका में 21 वर्षों तक रहने के बाद वे वर्ष 1915 में वापस भारत लौट आए।
गाँधी जी से जुड़े प्रमुख आंदोलन
चंपारण आंदोलन – प्रथम सविनय अवज्ञा
अहमदाबाद मिल हड़ताल – प्रथम भूख हड़ताल
खेड़ा सत्याग्रह – प्रथम असहयोग
रौलेट सत्याग्रह – प्रथम जन आंदोलन
असहयोग आंदोलन
|| Selection Mind : YouTube Channel ||
नमक सत्याग्रह/ दांडी मार्च
भारत छोड़ो आंदोलन
असहयोग आंदोलन में महात्मा गांधी जी की भूमिका
मार्च 1920 में, बापू ने अपना घोषणा-पत्र जारी किया, जिसमें उन्होंने अहिंसक असहयोग आंदोलन प्रारंभ करने की घोषणा की।
गांधीजी असहयोग आंदोलन के सबसे प्रमुख नेता थे। इन्होंने लोगों से स्वदेशी सिद्धांत तथा प्रवृत्तियों को अपनाने का आग्रह किया ।
जिसमें चरखे का प्रयोग, सूत कातना तथा छुआछूत को दूर करने जैसी बातें सम्मिलित थीं।
वर्ष 1921 में इन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया तथा लाखों लोगों को संबोधित किया।
फरवरी 1922 में उत्तर प्रदेश के चौरी-चौरा नामक स्थान पर हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर, इन्होंने अपना आंदोलन वापस ले लिया।
“मैं हर प्रकार का दमन, हर प्रताड़ना, हर उत्पीड़न सहन कर सकता हूं, यहां तक कि अपनी मृत्यु का वरण भी कर सकता हूं, लेकिन आंदोलन हिंसक हो जाये यह बर्दाश्त नहीं कर सकता।”
-महात्मा गांधी
(16 फरवरी, 1922 को यंग इंडिया में)
सविनय अवज्ञा आंदोलन में महात्मा गांधी जी की भूमिका
6 अप्रैल 1930, को महात्मा गांधी ने मुट्ठीभर नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा था। औपचारिक रूप से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की।
इससे पहले वे 5 अप्रैल को साबरमती आश्रम से डांडी पहुंचे तथा अपनी ऐतिहासिक यात्रा पूरी की।
डांडी पहुंचकर गांधी जी ने नमक का निर्माण कर, सरकार द्वारा आरोपित किये गये नमक कानून की अवज्ञा की।
महात्मा गांधी, इस आंदोलन के सबसे मुख्य पात्र थे तथा उनके कार्यों एवं विचारों ने लाखों देशवासियों को प्रभावित किया।
उनका मुख्य जोर इस बात पर था कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में सभी भारतीय, मुख्यतया सबसे निचले तबके के लोग सक्रियता से भागीदारी निभाएं।
“भारत एक विशाल कारागृह है। मैं इस अवधारणा को स्वीकार करता हूं।”
- महात्मा गांधी जी ने लॉर्ड इरविन से ।
“गांधीजी की दांडी यात्रा नेपोलियन की एल्बा से पेरिस की ओर किये गये अभियान के समान थी।”
- सुभाष चंद्र बोस
भारत छोड़ो आंदोलन में महात्मा गांधी जी की भूमिका
गांधी जी ने 1942 में साम्राज्यवादी सत्ता का समूल उखाड़ फेंकने हेतु यह आंदोलन प्रारंभ किया।
ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने अगस्त प्रस्ताव तथा क्रिप्स मिशन के द्वारा जो आश्वासन दिये थे, उसे भारत का कोई भी वर्ग संतुष्ट नहीं था।
तत्पश्चात् उपनिवेशी शासन की वास्तविक मंशा को भांपकर गांधी जी ने यह ऐतिहासिक आंदोलन प्रारंभ किया।
|| Selection Mind : YouTube Channel ||
उन्होंने बंबई के गोवालिया टैंक मैदान से अपने ऐतिहासिक उद्बोधन में भारत के निवासियों से उपनिवेशी शासन को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया।
यहीं उन्होंने “करो या मरो’ का ऐतिहासिक नारा दिया।
9 अगस्त 1942 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
सरकार द्वारा आंदोलन के कार्यकर्ताओं के विरुद्ध दमनकारी नीतियों का सहारा लिये जाने के विरोध में फरवरी 1943 में उन्होंने 21 दिन का उपवास रखा।
“ जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं। ”
- महात्मा गांधी
गांधी युग का अंत
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी ।
गांधीजी के मुख से निकले आखिरी शब्द थे – “हे राम, हे राम, हे राम” ।
“ तुम मुझे बांध सकते हो, तुम मुझे यातनाएं दे सकते हो, तुम इस शरीर को खत्म भी कर सकते हो पर तुम मेरे विचारो को बांध नहीं सकते। ”
-महात्मा गांधी
स्वतंत्रता आंदोलनों में महात्मा गांधी जी की भूमिका
गांधीजी के ‘कुशल नेतृत्व एवं उनकी प्रशंसनीय संगठन क्षमता, ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को एक नयी दिशा दी।
गांधीजी के प्रयासों से ही कांग्रेस की एक विशेष पहचान कायम हुई।
कांग्रेस की लोकप्रियता एवं समर्थन में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गयी ।
|| Selection Mind : YouTube Channel ||
गांधीजी के नेतृत्व में साम्राज्यवाद के विरुद्ध चलाये गये विभिन्न आंदोलनों से भारतीय राष्ट्रवाद सशक्त होता गया था व अंग्रेज सरकार उसे रोकने में विफल रही।