रेलवे का निजीकरण | Indian Railways Privatisation | Pros And Cons | Selection Mind Online Study
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रेलवे का निजीकरण | Indian Railways Privatisation | Pros And Cons | Selection Mind Online Study (Watch on Our YouTube Channel)
मोदी सरकार का नवीनतम 'मास्टरस्ट्रोक' भारतीय रेलवे का निजीकरण है। 1 जुलाई, 2020 को रेल मंत्रालय ने घोषणा की कि 109 जोड़ी मार्गों में 151 ट्रेनें निजी क्षेत्रों द्वारा संचालित की जाएंगी। निजी कंपनियां अपनी पसंद के किसी भी स्रोत से ट्रेन और लोकोमोटिव खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं।
- भारत की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस का संचालन पहले ही शुरू किया जा चुका है।
- भारतीय रेलवे के निजीकरण को समझने से पहले निजीकरण तथा सरकारी-निजी भागीदारी को समझ लेना आवश्यक है।
निजीकरण
सार्वजनिक सेवा के स्वामित्व वाले क्षेत्र (उद्योग, व्यवसाय, संगठन आदि) को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया निजीकरण कहलाती है।
उद्देश्य :
- प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।
- गुणवत्ता में सुधार करना।
- अनावश्यक हस्तक्षेप को कम करना
- सार्वजनिक वित्त में सुधार करना आदि
सार्वजनिक-निजी भागीदारी
- किसी परियोजना को पूरा करने के लिए दो या दो से अधिक सार्वजनिक तथा निजी संगठन के मध्य किया गया समझौता सार्वजनिक-निजी भागीदारी कहलाता है।
- इसे पीपीपी (Public–private partnership), पी3 या 3पी भी कहा जाता है।
रेलवे में निजीकरण के कारण
- तकनीकी स्तर पर गुणवत्ता के उच्च मानकों को प्राप्त करने में असफल
- समय प्रबंधन की समस्या
- बुनियादी ढाँचे और सेवाओं के आधुनिकीकरण में तालमेल में असफल
- सेवाओं से ग्राहकों में असंतुष्टि
- गैर, टिकट यात्रा, रखरखाव, मेंटनेंस आदि की समस्या
- आर्थिक क्षति आदि।
रेलवे में निजीकरण के लाभ
- सरकार पर आर्थिक बोझ में कमी,
- गुणवत्तायुक्त सेवा,
- बेहतर बुनियादी ढाँचा
- बेहतर समय प्रबंधन,
- प्रतिस्पर्धा में वृद्धि।
रेलवे में निजीकरण के नुकसान
- सरकार पर आर्थिक बोझ में कमी,
- गुणवत्तायुक्त सेवा,
- बेहतर बुनियादी ढाँचा
- बेहतर समय प्रबंधन,
- प्रतिस्पर्धा में वृद्धि।
भारतीय रेलवे का संपूर्ण बुनियादी ढाँचा रेलवे बोर्ड द्वारा प्रबंधित है और भारतीय रेल सेवाओं पर उसका एकाधिकार है
परंतु बीते 2 दशकों में भारतीय रेलवे में निजीकरण का विषय चर्चाओं का केंद्र बिंदु रहा है।
कुछ पहलुओं जैसे- रेल दुर्घटना, खान-पान और समय की पाबंदी आदि के कारण भारतीय रेलवे को समय-समय पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है
इन्हीं आलोचनाओं ने भारतीय रेलवे में निजीकरण को भी हवा दी है।
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