भारत की पंचवर्षीय योजनाएं | Five-Year Plans of Ind
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भारत की पंचवर्षीय योजनाएं | Five-Year Plans of India |
योजना आयोग [Planning Commission]
- भारत सरकार की मुख्य एजेंसी थी । जो 5 साल की योजनाओं के माध्यम से देश में आर्थिक और सामाजिक विकास की देख रेख करती थी।
- 15 मार्च 1950 को स्थापित योजना आयोग एक सरकारी निकाय था, जो पाँच वर्ष की योजना बनाने का कार्य करती थी।
- योजना आयोग का मूल उद्देश्य मानवीय व भौतिक संसाधनों का उपयोग कर उत्पादकता को बढ़ा कर रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराना था।
योजना आयोग एक सलाहकारी निकाय के रूप में संचालित थी । इसका नेतृत्व प्रधानमंत्री करते थे । और आमतौर पर पूर्णकालिक उपाध्यक्ष हुआ करता था ।
• योजना आयोग ने देश और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
• योजना आयोग ने देश की भौतिक पूंजी और मानव संसाधनों का आकलन करने और ऐसे संसाधनों को बढ़ाने की संभावना की जांच करने की जिम्मेदारी सम्भाळी |
आयोग की दो प्रमुख जिम्मेदारियां थी -
1. प्राथमिकताओं का निर्धारण करना और योजनाओं के लिये संसाधनों का आवंटन करना |
2. योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिये आवश्यक मशीनरी का निर्धारण करना ।
योजना के क्रियान्वयन को देखने के लिये NDC बनाया गया।
NDC (राष्ट्रीय विकास परिषद)
NDC की स्थापना - 6 अगस्त 1952
[सुपर कैबिनेट कहा जाता है]
पंचवर्षीय योजना
• 1947 की आजादी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के पुननिर्माण के अलावा अन्य विकल्प नहीं बचा था । इसलिये राजनीतिक नेताओं को देश के तत्कालीन हालात के अनुसार अर्थव्यवस्था का चयन करना था व आर्थिक नियोजन भी तैयार करना था । जिससे पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत हुई।
• आर्थिक योजना के तहत सरकार द्वारा योजनाबद्ध सामान्य और विशिष्ट लक्ष्यों को पूरा करने के लिये राष्ट्र के संसाधन आवंटित करना मुख्य कार्यों में से एक था।
• भारत में बनाई पांच साल की योजनाओं में आर्थिक नियोजन का विचार पूर्व रूस (USSR) से प्रेरित था।
• पांच साल की योजनाओं की धारणा के बाद, भारत ने 12 पंचवर्षीय जारी की जा चुकी हैं। 12वीं पंचवर्षीय योजना आखिरी थी।
• भारत सरकार ने पांच साल की योजनाओं को लांच करना बंद कर दिया है और योजना आयोग के स्थान पर NITI अयोग नामक एक थिंक टैंक लांच किया है।
NITI - National Institution for Transforming India
प्रथम पंचवर्षीय योजना
• 1 अप्रैल 1951-31 मार्च 1956 तक |
• यह हैराड- डोमर मॉडल पर आधारित थी।
• हैराड- डोमर मॉडल : सतत एवं अनवरत वृद्धि
• प्राथमिकता - कृषि विकास
• योजना सफल साबित हुयी ।
• 2.1% लक्ष्य , 3.6% प्राप्ति
• कार्य - भाखड़ा नांगल, हीराकुण्ड और मेट्टूर बांध, दामोदर घाटी आदि
• 1956 में 5 IIT शुरू किये गये |
द्वितीय पंचवर्षीय योजना
- 1 अप्रैल 1956 - 31 मार्च 1961 तक
- यह योजना महालनोबिस मॉडल पर आधारित
- प्राथमिकता - औद्योगिक विकास
- विकास दर - 4.57 लक्ष्य, 4.2% प्राप्ति
कार्य -
- भिलाई, दुर्गापुर और राउरकेला में इस्पात संपन्न
- भारत सहायता क्लब की स्थापना
तीसरी पंचवर्षीय योजना
1 अप्रैल 1961 - 31 मार्च 1966
• प्राथमिकता - आत्म निर्भरता, कृषि, उद्योगों पर बल दिया
● विकास दर - लक्ष्य = 5.6% ,प्राप्ति = 2.8%
1962 - भारत - चीन युद्ध
1965 - भारत-पाक युद्ध
1966 - सूखा
कार्य-
- हरित क्रान्ति की शुरुआत इसी योजना में हुयी।
- इस योजना' को 'गाडगिल योजना' के रूप से भी जाना जाता है।
प्लान हॉलिडे 1966-69
- तीसरी योजना की विफलता व भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के कारण सरकार 'प्लान हालिडे' घोषित करने के लिये मजबूर थी ।
- इस काल में वार्षिक योजनायें चली इस लिये इसे पंचवर्षीय योजना अवकाश काल कहा गया।
चौथी पंचवर्षीय योजना
• 1 अप्रैल 1969 से 31 मार्च 1973
प्राथमिकता -
- कृषि और सिंचाई पर महत्व ।
- स्थिरता व आत्मनिर्भरता ।
• इसका प्रारूप - D.R. गाडगिल (उपाध्याक्ष)
अत: इसे गाडगिल योजना कहते है।
• विकास दर -लक्ष्य = 5.7% , प्राप्ति = 3.4%
• इसी योजना में सर्वाधिक कृषि वृद्धि दर रही
कार्य :
• ISRO की स्थापना |
• 14 बैंकों का राष्ट्रीय करण हुआ।
पांचवी पंचवर्षीय योजना
1 अप्रैल 1974 से 31 मार्च 4978 तक
प्राथमिकता-
- गरीबी उन्मूलन [निवारण]
- आत्मनिर्भरता पर बल
- गरीबी हटाओ का नारा दिया गया ।
इस योजना में पहली बार गरीबी एवं बेरोजगारी पर ध्यान दिया गया ।
• विकास दर -लक्ष्य = 4.4% ,प्राप्ति = 4.5%
यह पंचवर्षीय योजना समय से पूर्व समाप्त हुयी ।
4 वर्ष तक इन्दिरा गांधी की सरकार चली।
उसके बाद मोरार जी देसाई की जनता पार्टी आयी ।
कार्य-
1975 में TPP लाया गया
↳ Twenty point of planing
↳ जनता पार्टी की सरकार ने खारिज कर दिया [रोलिंग प्लान ]
↳ गुन्नार मिर्डल द्वारा बनाई गई।
घोषना अवकाश - 1979-80
छठी पंचवर्षीय योजना
- NABARD का गठन
- इस योजना में आर्थिक उदारीकरण की शुरुवात हुयी
1 अप्रैल 1980-31 मार्च 1985
प्राथमिकता - गरिबी निवारण, आर्थिक विकास, आत्मनिर्भरता
• विकास दर - लक्ष्य = 5.2%, प्राप्ति = 5.7%
Note- यह पंचवर्षीय योजना अर्थव्यवस्था के लिये एक बड़ी सफलता बनी ।
सातवी पंचवर्षीय योजना
1 अप्रैल 1985 - 31 मार्च 1990
• मॉडल = जॉन डब्लू मिलर मॉडल पर आधारित थी।
प्राथमिकता = रोजगार, शिक्षा, जन स्वास्थ्य
- भोजन काम और उत्पाद का नारा दिया गया ।
• विकास दर -लक्ष्य = 5%, प्राप्ति = 6%,
कार्य
- गरीबी की माप [लकड़बाल समिति]
- जवाहर योजना चली।
वार्षिक योजनायें -
90-91 और 91-92 > योजना अवकाश
- 1991 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार के संकट का सामना करना पड़ा ।
- 1 अरब अमेरिकी डालर के भंडार देश के पास बचे।
- भारत के निजीकरण और उदारीकरण की शुरुआत हुई।
आठवी पंचवर्षीय योजना
1 अप्रैल 1992 - 31 मार्च 1997
योजना आयोग के अध्यक्ष = PV नरसिंहराव
• प्राथमिकता- रोजगार वृद्धि, आधुनीकरण
मुख्य उद्देश्य - जनसंख्या नियंत्रण, रोजगार ढांचे
• विकास - लक्ष्य = 5.67%, प्राप्ति = 6.8%
कार्य -
- प्रधानमंत्री रोजगार योजना शुरुआत
- LPG System आया।
L - Liberalization
P - Privatization
G - Globalisation
नौवी पंचवर्षीय योजना
• 1 अप्रैल 1997-31 मार्च 2002
प्राथमिकता - मानव विकास, न्यायपूर्ण वितरण एवं समानता पर बल
• विकास दर - लक्ष्य = 6.5% , प्राप्ति = 5.5%
अंतरर्राष्ट्रीय मंदी के कारण असफल
दसवी पंचवर्षीय योजना
1 अप्रैल 2002 - 31 मार्च 2007
• प्राथमिकता - गरीबी और बेरोजगारी को समाप्त करना ।
• अगले 10 वर्ष में प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करना ।
• विकास दर - लक्ष्य = 8%,प्राप्ति = 7.7%
- 7-5 अरब डालर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का लक्ष्य
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना
• 1 अप्रैल 2007 - 31 मार्च 2012 तक
• प्राथमिकता - तीव्रतम एवं समावेशी विकास
• विकास दर - 9% लक्ष्य , 7.9% प्राप्ति
कार्य -
- आम आदमी बीमा योजना
- राजीव आवास योजना
- प्रधान मंत्री आदर्श ग्राम योजना
- राजीव आर्ययोगी स्वास्थ्य योजना
• शिक्षित बेरोजगारी 5% से कम करना
• 15% से अधिक वनावरण में वृद्धि
बारहवीं पंचवर्षीय योजना
• 1 अप्रैल 2012 - 31 मार्च 2017 तक
• प्राथभिकता
→ तीव्रतम एवं समावेशी विकास
→ 100% साक्षरता
→ कौशल विकास
→ विद्युतीकरण
→ बैंकिंग सुविधा
→ गरीबी को 10% तक कम करना
→ कृषि में 4% की वृद्धि हासिल करना
Note - 2014 में जनता पार्टी की सरकार ने योजना आयोग को समाप्त कर दिया और 2015 में नीति आयोग स्थापना हुयी।
योजना आयोग को समाप्त करने का कारण -
- योजना आयोग की उपस्थिति में शक्तियों का अत्यधिक केन्द्रीकरण हुआ ।
- योजना आयोग ने खर्च की जाने वाली धन राशि, राज्यों को आवंटित करने वाले संसाधन आदि के बारे में निर्णय लेने का नियंत्रण होता था । इस आयोग ने वित्त आयोग के क्षेत्र में हस्तक्षेप शुरू कर दी । जो अर्थव्यवस्था के लिये अच्छा नहीं है।