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Covaxin vs Covishield

भारत ने जनवरी में अपने कोविड टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत की थी। 
देश में अबतक ढाई करोड़ से ज्‍यादा लोगों को टीका लगाया है और करोड़ों डोज दूसरे देशों में भेजी गई हैं। 
ट्रायल के नतीजों के आधार पर दो वैक्‍सीन को अप्रूवल दिया गया था।
इनमें से एक है सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) की कोविशील्‍ड  
दूसरी है भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की कोवैक्‍सीन।
दोनों टीके सेफ हैं और विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) के तय मानकों से ज्‍यादा एफेकसी वाले हैं। 

कोविशील्‍ड और कोवैक्‍सीन, दोनों में क्‍या अंतर है और कौन सी बेहतर है, आइए समझते हैं।


एक इनऐक्टिवेटेड वैक्‍सीन है यानी किस मृत कोरोना वायरस से बनाया गया है। 
इसके लिए भारत बायोटेक ने पुणे के नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी में आइसोलेट किए गए कोरोना वायरस के एक सैम्‍पल का इस्‍तेमाल किया। 
जब यह वैक्‍सीन लगाई जाती है तो इम्‍युन सेल्‍स मृत वायरस को पहचान लेती हैं और उसके खिलाफ ऐंटीबॉडीज बनाने लगती हैं। 
वैक्‍सीन की दो डोज चार हफ्तों के अंतराल पर दी जाती है और इसे 2 डिग्री सेल्सियस से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच स्‍टोर की जा सकती है।

इसको ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी और अस्‍त्राजेनका ने मिलकर डिवेलप किया गया है। 
इसे भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया तैयार कर रही है। 
यह वैक्‍सीन आम सर्दी-जुकाम वाले वायरस के एक कमजोर रूप से बनी है। 
इसे मॉडिफाई करके एक कोरोना वायरस जैसा दिखने वाला बनाया गया है मगर इससे बीमारी नहीं होती। 
जब वैक्‍सीन लगती है तो वह इम्‍युन सिस्‍टम को किसी कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती है। 
यह वैक्‍सीन दो डोज में चार और 12 हफ्तों के अंतराल पर लगती है। इसे भी 2 डिग्री से 8 डिग्री के बीच स्‍टोर किया जा सकता है।

कोविड कार्य समूह की सिफारिश पर CoviShield टीके की दो खुराक के बीच का अंतर से 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया गया है ।
उल्लेखनीय है कि कार्य समूह ने कोवैक्सीन टीके के अंतराल में परिवर्तन की सिफारिश नहीं करी है।
ब्राजील, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में ट्रायल में सामने आया है कि CoviShield के पहले और दूसरे टीके के बीच जब अंतराल 12 हफ्तों से अधिक का होता है तो वैक्सीन 82% तक प्रभावी होती है 
जबकि 6 हफ्ते के भीतर दूसरा टीका लगवाने पर यह 55% तक ही प्रभावी रह पाती है

गर्भवती महिलाएं अपने लिए वैक्सीन चुन सकती हैं और गर्भवती महिलाएं डिलीवरी के बाद कभी भी वैक्सीन लगवा सकती हैं ।

जो लोग कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित रहे हैं, वे 6 महीने के बाद ही टीकाकरण करवाएं।

ऐसे लोग जिन्हें टीके की पहली खुराक लग चुकी है और दूसरी खुराक लगने से पहले यदि वे संक्रमित हो जाते हैं तो उन्हें ठीक होने के बाद अगली खुराक लगवाने से पहले चार से आठ हफ्ते इंतजार करना चाहिए





Covaxin
भारत बायोटेक ने 3 मार्च को फेज 3 ट्रायल के नतीजे जारी किए थे। 
दावा था कि Covaxin ने 81% क्लिनिकल एफेकसी दिखाई है। 
यह वैक्‍सीन ट्रायल के दौरान सेफ पाई गई थी और किसी वालंटियर में सीरियस साइड इफेक्‍ट्स देखने को नहीं मिले थे।
 CoviShield
ऑक्‍सफर्ड-अस्‍त्राजेनेका के इंटरनैशनल ट्रायल में वैक्‍सीन 90% तक असरदार पाई गई। 
इतनी एफेकसी तब मिली जब लोगों को आधी डोज पहले और फिर फुल डोज दी गई। 
SII के मुताबिक, वैक्‍सीन किसी तरह के अस्‍वीकार्य साइड इफेक्‍ट्स पैदा नहीं करती।

गलती से भी ऐसा नहीं होना चाहिए।

दोनों टीके अलग-अलग हैं और शरीर के इम्‍युन रेस्‍पांस पर उनका असर भी अलग-अलग।

इसलिए टीकाकरण के दौरान आपको एक ही वैक्‍सीन के फुल डोज लगने चाहिए।

अगर दोनों डोज अलग-अलग वैक्‍सीन की हुईं तो शरीर पर उसका बेहद बुरा असर हो सकता है, इसके अलावा कोविड से प्रोटेक्‍शन भी नहीं मिलेगी।

भारत में टीकाकरण के दौरान यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि पहला और दूसरा टीका एक ही कंपनी का लगे।

इसके लिए CoWIN प्‍लेटफॉर्म तैयार किया गया है जो किसे, कौन सी वैक्‍सीन कब दी गइ है, इसका पूरा ब्‍योरा रखता है