मध्यप्रदेश झंडा सत्याग्रह । मध्यप्रदेश इतिहास | History Of Madhya Pradesh MPPSC
मध्यप्रदेश झंडा सत्याग्रह
मार्च, 1923 में जबलपुर में तिरंगा झंडा फहराने को लेकर स्थानीय अधिकारियों में विवाद हुआ। यह विवाद तब प्रारंभ हुआ जब कांग्रेस सदस्यों द्वारा 8 मार्च, 1923 को नगर पालिका भवन पर झंडा फहराने के समय ब्रिटिश डिप्टी कमिश्नर ने क्रुद्ध होकर झंडा नीचे उतारने का आदेश दिया था। सरकारी प्रतिबंध की अवहेलना करते हुए जिला कांग्रेस समिति ने सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया। जिसका नेतृत्व पंडित सुंदरलाल शर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान, नाथूराम मोदी ने किया था।
सत्यग्राहियों पर मुकदमा चलाया गया, जिसमें पंडित सुंदरलाल शर्मा को 6 माह का कारावास हुआ। इसके पश्चात् नागपुर झंडा सत्याग्रह का केंद्र बन गया तब सुभद्रा कुमारी चौहान और उनके पति लक्ष्मण सिंह को नागपुर भेजा गया।
18 अगस्त, 1923 को ब्रिटिश अधिकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज के साथ स्वयंसेवकों को जुलूस निकालने की अनुमति दी। इस जुलूस का नेतृत्व माखनलाल चतुर्वेदी, वल्लभभाई पटेल तथा बाबू राजेंद्र प्रसाद ने किया।