मनरेगा योजना | MGNREGA ACT 2005
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मनरेगा, कोविड 19 महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों की लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।
- इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था
- मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण कार्य, चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों।
- नियत कार्य बल का करीब एक तिहाई महिलाओं से निर्मित है।
चर्चा का कारण
- LibTech इंडिया ने हाल ही में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम पर एक अध्ययन किया था, जिसकी रिपोर्ट हाल ही में जारी की गई है।
- इसमें सामने आया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा वेतन पाने के लिए भी बैंकों तक भाग-दौड़ करनी पड़ती है, इसके अलावा उन्हें अपनी बायोंमैट्रिक स्कैन करने में भी मजदरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
- महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण कहता है कि MGNREGS (मनरेगा) में महिलाओं की हिस्सेदारी 2013-14 के बाद सबसे निचले स्तर 52.46% पर है।
मनरेगा
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
- MGNAREGA – Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act 2005
- मंत्रालय : ग्राम विकास मंत्रालय,भारत सरकार Ministry of Rural Development,GOI
यह एक मांग आधारित रोजगार कार्यक्रम है
जिसका उद्देश्य अकुशल, शरीरिक श्रम करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों वाले प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी प्रदान करना है।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ( मनरेगा) को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (NREGA) के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
- वर्ष 2010 में नरेगा (NREGA) का नाम बदलकर मनरेगा (MGNREGA) कर दिया गया।
मनरेगा अधिनियम 2005 के प्रावधान
- यह ग्रामीण परिवारों के सभी वयस्क सदस्यों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी देने का प्रावधान करता है।
- इसे आवश्यकता अनुसार बढ़ाया भी जाता रहा है। सूखाग्रस्त और जनजाति क्षेत्रों में रोजगार अवधि 150 दिनों तक बढ़ाई जा सकती है।
- इसके लाभार्थियों में एक तिहाई महिलाएं होनी चाहिए।
- आवास के 5 किलोमीटर के भीतर कार्य उपलब्ध कराए जाते हैं।
- स्थाई संपत्तियों जैसे- सड़कें, तालाब, कुओं का निर्माण किया जाता है।
- कार्यों का चयन एवं निगरानी ग्राम सभा द्वारा किया जाता है।
आंकड़े
- वर्तमान में मनरेगा के तहत 13,34 करोड़ सक्रिय लाभार्थी हैं, इसमें से 6.58 करोड़ महिलाएं हैं।
- महिलाओं की हिस्सेदारी का राष्ट्रीय औसत 2.24% कम हो गया है।
- सबसे ज्यादा गिरावट (4%) आंध्रप्रदेश में देखी गई है, जबकि जम्मू कश्मीर में महिलाओं की भागीदारी न्यूनतम स्तर (30%) पर है।
- मनरेगा के तहत, केरल में सर्वाधिक महिला भागीदारी 91% है।
महत्व
- गरीब वर्गों को सुरक्षित आय प्रदान करने में बड़ी भूमिका निभाई है।
- बैंक, पोस्ट ऑफिस खाते खुलवाए गए, इससे वित्तीय समावेशन हुआ।
- ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति में बढ़ोतरी हुई।
- SC & ST के उत्थान में सहायक रहा है, कुल मजदूरों में से 37% इन वर्गों से आते हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया गया है।
- ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन में एक निश्चित सीमा तक कमी आई
- इसके तहत जल संरक्षण, बाढ़ प्रबंधन, भूजल रिचार्ज जैसे कार्य किए गए हैं।